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Ashaghosh

Ashaghosh

350.00

FORMAT
eBooks
Author
Braj Shrivastav

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Description

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About  Book
समकालीन कविता के जाने पहचाने कवि श्री ब्रज श्रीवास्तव की कविताओं की इस किताब में खड़ी बोली में और नए शिल्प में बुनी गईं सरल सहज कविताएँ शामिल की गईं हैं। यह उनकी चौथी कविता की किताब है, जिसकी छोटी कविताएँ पाठक को अपने ही अनुभवों से कविता के बहाने मुलाकात करातीं हैं। इसकी भूमिका लिखी है प्रसिद्ध कवि और अनुवादक गीत चतुर्वेदी ने और ब्लर्व कवि आलोचक  विजय बहादुर सिंह ने लिखा है।
इन कविताओं में समाज की विद्रूपताओं का सटीक खुलासा मिलता है। इन कविताओं में आधुनिक होते जा रहे मनुष्य की चिंताएँ, भागदौड़ और दुख संताप तो हैं ही प्रेम जैसे सदाबहार भाव के भी कुछ सुंदर लेकिन यथार्थ वर्णन आए हैं। जिनमें विज्ञान और सामाजिक जीवन के बेहतर उदाहरण अनायास आए हैं। भाषा में नए प्रयोग करते हुए ब्रज श्रीवास्तव कल्पनाओं का इस तरह समावेश करते हैं कि पाठक को कविता पढ़ने का अपेक्षित सुख मिलता है। वास्तव में यह पुस्तक पठनीय है।

About The Author
ब्रज श्रीवास्तव का जन्म 5 सितम्बर 1966 को विदिशा मे हुआ |
ब्रज श्रीवास्तव  ने एम.एस.सी.(गणित),  एम.ए.(हिन्दी),  एम.ए(अंग्रेजी,)  बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की
ब्रज श्रीवास्तव के साहित्य की पत्र-पत्रिकाओं, पहल, हंस, नया ज्ञानोदय, कथादेश, बया, वागर्थ, तदभव, आउटलुक, शुक्रवार, समकालीन भारतीय साहित्य, वर्तमान साहित्य,इंडिया टुडे, दुनियां इन दिनों, शत दल, वसुधा, साक्षात्कार, संवेद, यथावत, अक्सर, रचना समय, कला समय, पूर्वग्रह, दस बरस, जनसत्ता, सहित अनेक अखबारों, रसरंग, लोकरंग, सुबह सवेरे, नवदुनिया, सहारा समय, राष्ट्रीय सहारा आदि में कविताएँ, समीक्षायें और अनुवाद प्रकाशित हुए हैं |
मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के आयोजन में जबलपुर, खंडवा में और भारत भवन के आयोजन परिधि में देवास में कविता पाठ एवं संचालन। प्रगतिशील लेखक संघ के आयोजन में जयपुर और बीना में कविता पाठ। सरोकार प्रकाशन भोपाल के आयोजन में विशेष कविता पाठ।वनमाली सृजन पीठ के आयोजन में बिलासपुर में कविता पाठ। कुछ कवि सम्मेलनों में भी पाठ।केंद्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली में आलेख पाठ ।
अखिल भारतीय दिव्य पुरस्कार सहित एक दो स्थानीय स्तर के सम्मान।
दैनिक विद्रोही धारा के साहित्यिक पृष्ठ का तीन वर्षों तक संपादन. काव्य संकलन, दिशा विदिशा.(वाणी प्रकाशन) से प्रकाशित. नवदुनिया और कला समय में स्तंभ लेखन।

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